सूर्य की उपासना उत्तर वैदिक काल से ही चली आ रही है। इसका कारण यह है कि सूर्य को जल देने से हमें कई तरह के सीधे लाभ मिलते हैं। जी हाँ, सूर्य को जल देने से हमारे आसपास के वातावरण में भी इसका सीधा असर होता है। इसके अलावा सूर्य को जल देने से हमारे ख़ुद के शरीर में मन में और आँखों में अलग तरह की शक्ति आश्रित होती है, जोकि सीधे सूर्य से ही प्राप्त होती है। ऐसे में सूर्य को जल देना हमारे लिए बहुत ही ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है। लेकिन सबसे ज़रूरी बात यह है कि हममे से बहुत से लोग सूर्य को अर्घ्य देते तो हैं, लेकिन उन्हें इसका सही तरीक़ा न मालूम होने से लाभ नहीं मिल पाता है। तो आइए आज हम आपको सूर्य को जल देने का सही तरीक़ा बताते हैं।
सूर्य को जल देने से आपको एक महीने के भीतर में ही परिणाम मिलना शुरू हो जायेंगे। जी हाँ, वैसे तो बहुत से लोगों को सूर्य को अर्घ्य देने का तरीक़ा मालूम भी है और उन्हें इसके लाभ भी मिलते हैं। दिलचस्प है कि सूर्य को जल देने के अलग-अलग विधान शास्त्रों में बताये गये हैं। जी हाँ, आपको बता दें कि अलग-अलग परिणामों की प्राप्ति के लिए सूर्य को अलग-अलग तरीक़ों से जल देने की प्रथा है। अब आपको ये तय करना है कि आपको कैसे परिणाम चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सूर्य को जल देने के लिए आप नंगे पैर अर्घ्य न दें। इसके लिए आप लकड़ी का पटरा या बोरे आदि का प्रयोग करें।
सूर्य अर्घ्य देने की विधिः
1. सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें। 2. तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष आसन लगाए। 3. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें। 4. उसी जल में मिश्री भी मिलाएं। कहा जाता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है।
Author: Amit Rajpoot
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