रमा सिंह दुर्गवंशी का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले में हुआ है। इनका गाँव है जगापुर। जगापुर में ही रमा सिंह दुर्गवंशी का पालन-पोषण हुआ है शुरुआती पढ़ाई भी। इसके बाद जौनपुर शहर से निकलकर इन्होंने इलाहाबाद शहर में आकर आगे की पढ़ाई-लिखाई की। आपको बता दें कि रमा सिंह दुर्गवंशी ने अपने बचपन से लोगों को पिछड़ेपन और अभाव से जूझते देखा है। जब ये कॉलेज में आयीं तो इनकी दुनिया अलग थी। इन्होंने जीवन की कई मौलिक बातें यहीं सीखीं और तय किया कि आगे इन्हें लाइफ़ में जब भी मौक़ा मिलेगा ये ज़रूरतमंदों की मदद करेंगी।
कॉलेज ख़त्म करने के बाद रमा सिंह दुर्गवंशी ने नौकरी शुरू कर दी और इस दौरान लखनऊ और दिल्ली जैसे शहरों में काम करने के बाद जब इनकी शादी हुयी तो अपने पति के साथ ये मुम्बई चली आयीं। यहाँ समुद्र के किनारे मॉर्निंग वॉक करते समय रमा सिंह दुर्गवंशी ने देखा कि कुछ लोगों को समुद्र के पानी से ही ब्रश करना पड़ता है यहाँ तक कि नहाना पड़ता है। इन सबसे वह बहुत ज़्यादा परेशान हो उठी। ऐसे ही एक रात जब रमा सिंह दुर्गवंशी रात को अपने घर जा रही थीं तो उन्होंने देखा कि एक लड़का सड़क किनारे बोरा ओढ़कर सो रहा है। इस घटना ने तो रमा सिंह को भीतर तक हिलाकर रख दिया।
इसके बाद तो उन्होंने तय ही कर लिया कि वह ऐसे लोगों के लिए सरकार के पास मौजूद फंड को वह उनके इस्तेमाल में प्रयोग करवाये जाने का पूरा प्रयास करेंगी, ताकि बिना अतिरिक्त फंड के इन अपेक्षित लोगों की मदद हो सके। इसके लिए उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर अराइज़ इन अवेक नाम की एक संस्था का गणन किया, जिसका उद्देश्य है ग्रामीण इलाकों के लिए काम करना।
दिलचस्प है कि रमा सिंह ने अपने उद्देश्य पर जमकर काम करना शुरू कर दिया, जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने अब तक अपने प्रयासों से अलग-अलग राज्यों के लगभग बीस हड़ीर से भी ज़्यादा लोगों को मदद पहुँचा चुकी हैं।
Author: Amit Rajpoot
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