क्या आपको लगता है आपके पड़ोस में रहना वाला शर्मा जी का बेटा या बेटी आपसे बेहतर है? क्या आप सोचते हैं कि उसने आपसे अच्छी पढाई की है, इस वजह से आज उसकी जॉब व करियर आपसे बेहतर है? या आपको लगता है कि आपके साथ काम करने वाले आपके सहकर्मी काम में आपसे अच्छे हैं? अपने आप की दूसरों से तुलना करना आम बात है, लेकिन जो बुरा है वो ये है कि इन बातों का आप पर क्या असर पड़ रहा है? क्या आप इस तुलना के बाद खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं या फिर आप इन तुलना के बाद खुद को उनसे छोटा व तुच्छ समझने लगते हैं।
अगर ऑप्शन 2 आपका आंसर है, तो दोस्त तुरंत खुद की तुलना दूसरों से करना छोड़ दें वरना आप बेहतर होने की जगह खुद को ऐसे ही हमेशा सबसे छोटा समझने लगेंगे। हमारी सोच कई बार हमारी पर्सनेलिटी में बदल जाती है, जितनी सोच अच्छी और खुले विचारों वाली होगी उतना ही आपके लिए अच्छा है।
इन सब के अलावा आज हम आपको वो 3 कारण बताने जा रहे हैं, जिनकी वजह से आपको खुद की तुलना दूसरों से करनी छोड़ देनी चाहिए-
करीबियों से हो जाते हैं दूर
कई बार हम खुद की तुलना जब अपने दोस्तों, परिवारवालों व करीबियों के करते हैं, उनकी अच्छाई या फिर उनकी गुड क्वालिटीज जब हमारे अंदर नहीं होती तो हम न केवल खुद को डिमोटिवेट कर लेते है बल्कि हम उस इंसान के प्रति हीनभावना से भी ग्रस्त हो जाते है। हम अचानक उससे चिढ़ने लगते हैं और धीरे-धीरे उनसे दूर होने लगते हैं।
आपका अपने फोकस पर से हटता है दिमाग
जब आप खुद को दूसरों से नापने लगते हैं, तो आप अपना फोकस भूलने भी लगते हैं। आप उस रास्ते से भटक जाते है, जिसमें आप बेहतर हैं... आप उस रास्ते से हटकर उस रास्ते पर चल देते हैं जिसपर वो शख्स बेहतर है इससे आप खुद की तुलना करते हैं।
बढ़ने लगती है जलन की भावना
जैसे हमने पहले कहा तुलना आपको अपनों से भी दूर कर देती है, इसकी वजह से जलन की भावना। आप वो नहीं कर पा रहे, जिसमें आपके दोस्तो, भाई-बहन या फिर करीबी बेस्ट हैं... ये सब जलन जैसी बुरी भावना से आपको ग्रसित कर देते हैं।
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